Sunday 30 December 2018

Zindagi

जिंदगी तुम कब समझ आओगी...
कभी समझदार बनने को मजबूर कर देती हो
कभी बच्चा बनने को जरूरी बताती हो ..
कभी कदर दार बनने को मजबूर कर देती हो
कभी मनचला होने को जरूरी बताती हो
जिंदगी तुम कब समझ आओगी..?
कभी कहती हो फूंक-फूंक कर कदम रखना
कभी कहती हो तुम्हारा काम है तो बस चलते रहना...
कभी कहती हो दुनिया है इसे भी साथ लेते चलो
कभी कहती हो तुम्हारा काम है बस चलते रहना...
कभी कहती हो बस अपनी धुन में रहना
जिंदगी तुम कब समझ आओगी..?
कभी भरोसा दिला देती हो कि लोग कितने अच्छे हैं
कभी एहसास दिला देती हो कि वह कहां सच्चे हैं..
कभी कहती हो आजमाती चलो मुझे
कभी कहती हो जीती चलो मुझे..
और कितना रुलाओगी?
कब खुल के हसाओगी?
जिंदगी  आखिर तुम कब समझ आओगी...?

-A wellwisher

Saturday 29 December 2018

एहसास

क्यों, क्या एहसास भी झूठे होते हैं
अगर पता है तुम्हें तो बता दो ना मुझे
क्यों एहसासों पर कोई रोक नहीं लगा पाता है
कभी खुशी से भरे आ जाते हैं ,
तो कभी आ जाते हैं बुझे बुझे.....
वक्त बेवक्त कभी-कभी हर वक्त
बस अपने हिसाब से हंसाते हैं और रुलाते हैं
यह उन करीबी लोगों की तरह ही होते हैं
जो अपने होकर भी बहुत सताते हैं...
कोशिश पर कोशिश वो भी नाकामयाबी भरी,
सुबह से शाम तक कराते हैं...
हर बार जाने का नाटक कर
मेरे अंदर ही दूर कहीं कोने पर छुप जाते हैं...
काम इनका बस,
किसी काम का नहीं बना देना होता है
आगे जा रही वक्त में हमें पीछे ढकेलते जाना होता है
पर एक राज बताऊं,
इन को हराने का तरीका मेरे पास है...
प्यार से बोल दो इनसे, हाँ...बस तू ही तो मेरे खास है
तू ठहर अंदर कुछ देर मैं आता हूं
तुझसे दूर कहीं नहीं..
जीने दे मुझे नये लम्हें...
मैं तो तेरे ही साथ ही लेने जाता हूं...

-A Wellwisher